दर्द जो दिल में है छुपाना है चश्म-ए-पुर-नम को आज़माना है हसरतें हैं धुआँ धुआँ हर-सू ख़्वाहिशों को मगर बचाना है अपनी पलकों को बाँध कर रखिए क़ीमती सा यहाँ ख़ज़ाना है आँखों आँखों में हो गईं बातें और चुप-चाप ये ज़माना है दुनिया वालों से हम नहीं डरते अपनी ठोकर पे ये ज़माना है रास्ते कब बदल लें वो अपने हुस्न वालों का क्या ठिकाना है 'सैफ़' तन्हाइयों से डरता हूँ बे-वफ़ाओं का ये ज़माना है