दर्द का गहरा समुंदर और मैं ज़िंदगी का सर पे पत्थर और मैं इस तरफ़ शीशे ही शीशे और वो उस तरफ़ पत्थर ही पत्थर और मैं है यही अहद-ए-जुनूँ की यादगार एक कूचा एक पत्थर और मैं टूट जाने को हैं सब जाम-ओ-सुबू एक लग़्ज़िश एक ठोकर और मैं बन गया तारीख़ का ख़ूनीं वरक़ पुश्त में पैवस्त ख़ंजर और मैं ये मुसल्लस अहद की तारीख़ है एक क़ातिल एक ख़ंजर और मैं ये मुसल्लस देख क्या लाता है रंग मेरा सर मेरा ही पत्थर और मैं