दर्द-ए-दिल में कमी न हो जाए दोस्ती दुश्मनी न हो जाए तुम मिरी दोस्ती का दम न भरो आसमाँ मुद्दई' न हो जाए बैठता है हमेशा रिंदों में कहीं ज़ाहिद वली न हो जाए ताले-ए-बद वहाँ भी साथ न दे मौत भी ज़िंदगी न हो जाए अपनी ख़ू-ए-वफ़ा से डरता हूँ आशिक़ी बंदगी न हो जाए कहीं 'बेख़ुद' तुम्हारी ख़ुद्दारी दुश्मन-ए-बे-ख़ुदी न हो जाए