दरिया से इख़्तिलात है हम रो नहीं रहे रोना हमारी ज़ात है हम रो नहीं रहे इस बद-दिमाग़ दिल ने किया ज़ब्त का भी ख़ून ये सिर्फ़ वारदात है हम रो नहीं रहे कितने दिनों के बा'द ख़ुशी से मिले हैं हम फिर भी अजीब बात है हम रो नहीं रहे ये दिन भी कोई दिन था अजब ख़ुश-गवार दिन ये रात कोई रात है हम रो नहीं रहे रोने लगे तो कौन हमें चुप कराएगा सो इस का एहतियात है हम रो नहीं रहे आँसू कमाए हैं सो तिरे दीन के लिए मौला यही ज़कात है हम रो नहीं रहे