डरता हूँ मैं अक्सर कहीं ऐसा न समझ ले वो मेरी तवज्जोह को तमन्ना न समझ ले ये सोच के दानिस्ता रहा उस से बहुत दूर मग़रूर है दरिया मुझे प्यासा न समझ ले होंटों पे हँसी हाथों में नश्तर हैं ख़बर-दार कोई किसी क़ातिल को मसीहा न समझ ले अब मैं भी चटानों की तरह सीना सिपर हूँ तूफ़ान-ए-हवादिस मुझे तिनका न समझ ले पलकों पे 'शरर' अश्क सजाया न करो तुम जुगनू न समझ ले कोई तारा न समझ ले