डरते थे उसी सब्ज़ा-ए-आबाई से पहले चेहरे पे मसें फूट पड़ीं काई से पहले फिर आँखों ने तख़्लीक़ के सामान जुटाए हम तुझ से मिले थे तिरी रानाई से पहले सुनते हैं शुआएँ हैं सदाओं से सुबुक-गाम बीनाई चली जाती है गोयाई से पहले और अब तिरी परछाईं के चर्चे हैं सभी ओर क्या धूप खिली थी तिरी अंगड़ाई से पहले पच्छिम की हवा ले गई पच्छिम से हमें दूर पूरब की तरफ़ उड़ते थे पुरबाई से पहले हिम्मत से सिवा ताब नदामत में है यारो हम डूब गए पानी की गहराई से पहले