दश्त होते हुए बरसात नहीं चाहते हम या'नी अपने भी मफ़ादात नहीं चाहते हम होंट सिगरेट की तलब करते चले जाते हैं और इस के मुज़िर असरात नहीं चाहते हम रास यकताई बहुत आई हुई है हम को क़ैद हो कर भी मुलाक़ात नहीं चाहते हम जो कई शहरों के मिटने का सबब हो जाएँ दोस्ता ऐसी फ़ुतूहात नहीं चाहते हम हाथ फैलाए तिरे दर पे पड़े रहते हैं वो जो कहते थे कि ख़ैरात नहीं चाहते हम अपने पैरों से हमें अपना सफ़र करना है इस लिए आप की ख़िदमात नहीं चाहते हम