दश्त-ए-ग़म में साया-ए-गेसू न ढूँढ पत्थरों में दर्द की ख़ुश्बू न ढूँढ ज़िंदगी में अब वो रंग-ओ-बू न ढूँढ गुल-अदा गुल-पैरहन गुल-रू न ढूँढ अपने होंटों पर तबस्सुम कर तलाश वक़्त के रुख़्सार पर आँसू न ढूँढ मस्तियों में रक़्स-ए-ताऊस अब कहाँ शोख़ियों में वो रम-ए-आहू न ढूँढ मौजज़न है दिल में जो तूफ़ाँ वो देख ख़ुश्क आँखों में मिरी आँसू न ढूँढ हो सके तो इस रिवायत को न तोड़ मैं तुझे ढूँडूँगा मुझ को तू न ढूँढ दुश्मनों में भी महासिन कर तलाश हम-नफ़स तन्क़ीस के पहलू न ढूँढ