देख अपना ख़याल कर बाबा हो गई रात जा तू घर बाबा धूप उतरेगी तेरे कमरे में रख दरीचे को खोल कर बाबा याद रखना मुझे दुआओं में ताकि आसाँ रहे सफ़र बाबा जिस का है इंतिज़ार बरसों से जाने कब होगी वो सहर बाबा उठ रहा है उसी तरफ़ वो धुआँ अपनी कुटिया की ले ख़बर बाबा लुट न जाए मता-ए-दिल अपनी ये लुटेरों का है नगर बाबा इस तरह गाँव से गया 'अंजुम' फिर न आया वो लौट कर बाबा