देख ऐ शख़्स मुझे यूँ न गिरफ़्तार समझ By Ghazal << वो जितने दूर हैं उतने ही ... अभी फ़रमान आया है वहाँ से >> देख ऐ शख़्स मुझे यूँ न गिरफ़्तार समझ यार की क़ैद में हूँ तू तो मुझे यार समझ इश्क़ के पाँव पड़ा और उसे अर्ज़ करे साहिबा अब तो मुझे अपना तरफ़-दार समझ मैं ने सीखा है उसे देख कर रस्ता होना लोग कहते हैं कि दीवार को दीवार समझ Share on: