देख कर मेरी अना किस दर्जा हैरानी में है उस ने समझा था कि सब कुछ बाब-ए-इम्कानी में है मुझ को ग़म दे दे के ख़ुश था वो मगर ये क्या हुआ वक़्त के हाथों वही ग़म की फ़रावानी में है किस को किस को ख़ुश रखे वो किस से झगड़ा मोल ले फ़ैसला है उस के हाथों में तो हैरानी में है हर घड़ी अब हसरतों की लाश देती है धुआँ इक अजब शमशान मेरे दिल की वीरानी में है मैं भी तन्हा इस तरफ़ हूँ वो भी तन्हा उस तरफ़ मैं परेशाँ हूँ तो हूँ वो भी परेशानी में है बर्फ़ भी सीमाब भी साहिल भी है गिर्दाब भी ये तज़ाद-ए-ख़ासियत इक शक्ल-ए-इंसानी में है