देख लाज़िम है ग़म ज़िंदगी के लिए सो गुज़ारे शब-ए-ग़म ख़ुशी के लिए शहर-ए-जानाँ से अब कूच कर जाइए वो नहीं पारसा बंदगी के लिए यूँ तो सारे ही मंज़र मिले हैं मगर ढूँढता फिर रहा दिलकशी के लिए प्यार से प्यार का ये सफ़र देखिए सोचिए कुछ नया दिल-लगी के लिए आप ही आप वो मुस्कुराए बहुत याद आ ही गया नग़्मगी के लिए चाहता ही नहीं अब वो 'अहसन' तुझे देख नैनन कोई मय-कशी के लिए