देखे तो तमद्दुन का बनना कोई उर्दू में बेगाना मिज़ाजों की है दोस्ती उर्दू में अल्फ़ाज़ नए ढाले क्या क्या नई उर्दू में राइज मुतबादिल हैं जिन के कई उर्दू में है क़ैद इलाक़े की मज़हब की न मिल्लत की मिलते हैं दिल-ओ-जाँ के रिश्ते कई उर्दू में ज़ोलीदा-बयाँ वो हैं पेचीदा ज़बाँ उन की इक शर्त सफ़ाई की बस रह गई उर्दू में है तर्जुमे के बल पर ये दाम-ए-ज़बाँ-दानी इक काविश-ए-बे-दानिश फिर फँस गई उर्दू में अब शायद इसी सूरत कुछ बात बने उन की सोची थी जो इंग्लिश में तहरीर की उर्दू में ये उन की निगारिश है या दूसरों की उतरन ये सारी बड़ी बातें हैं कौन सी उर्दू में देखी जो मिरी उचकन वो शोख़ पुकार उट्ठा जचने लगे सरकार अब अपनी नई उर्दू में क्या ख़ूब ही जचती है इन मशरिक़ी कपड़ों में अंग्रेज़ी में ये क्या थी क्या हो गई उर्दू में शिकवा न शिकायत है पेचीदा बयानी की क्यूँ तल्ख़ ये लहजा है कहिए भई उर्दू में