देखिए किस को रास आते हैं अच्छे दिन सब के पास आते हैं एक भी काम का नहीं होता फ़ोन दिन में पचास आते हैं कल तो वा'दा भरे गिलास का था आज ख़ाली गिलास आते हैं तुम को बदलाव चाहिए ठहरो हम बदल कर लिबास आते हैं पहले बनती है सीता अपराधी बा'द में तुलसीदास आते हैं सारी दुनिया से मिल-मिला कर हम आख़िरश अपने पास आते हैं शाम होती है तब कहीं जा कर वापस अपने हवास आते हैं जाने क्या हो गया है 'नाज़िम' को हर जगह वो उदास आते हैं