देखो घिर कर बादल आ भी सकता है आधी रात वो पागल आ भी सकता है यूँ जो उड़ता फिरता है तेरे सर पर पैरों में ये आँचल आ भी सकता है राख के ढेर में आग छुपी भी होती है ख़ाली आँख में काजल आ भी सकता है लाज़िम है क्या सब की प्यास हो इक जैसी हो कर कोई जल-थल आ भी सकता है इतने मोड़ सफ़र में देख चुका हूँ 'शाज़' मेरे ख़यालों में बल आ भी सकता है