देखो मेरे जैसी हालत होती है सच कहने की जिन को आदत होती है मैं सहरा की रेत हूँ तू है दरिया की सब की अपनी अपनी क़िस्मत होती है उतना ही इस दहर में जी पाता है कोई जिस के अंदर जितनी वहशत होती है जिस पल तुझ से दूर हुआ करता हूँ मैं उस पल तेरी सख़्त ज़रूरत होती है तेरे जैसे लोग वहीं से आते हैं जन्नत से आगे जो जन्नत होती है देखें कितनी बार दुखी होते हैं हम देखें कितनी बार मोहब्बत होती है