देरीना ख़्वाहिशों से सजाया गया मुझे मक़्तल में किस फ़रेब से लाया गया मुझे बार-ए-समर से शाख़-ए-शजर झुक गई तो क्या मैं बे-समर था फिर भी झुकाया गया मुझे सय्यारा-ए-ज़मीं है कहाँ सोचता हूँ मैं पाताल में फ़लक से गिराया गया मुझे मैं नक़्श-ए-हिज्र-ए-यार हूँ शब की फ़सील पर जलता हुआ चराग़ बनाया गया मुझे लाए हैं रेज़ा रेज़ा किसी आइने के पास मेरा ही जिस्म जैसे दिखाया गया मुझे पत्थर में जब गुलाब महकते दिखा दिए ये मो'जिज़ा नहीं है बताया गया मुझे चश्मों के पास हो के भी प्यासा हूँ मैं 'ज़फ़र' रेग-ए-रवाँ का रक़्स दिखाया गया मुझे