धूप आई नहीं मकान में क्या अब्र गहरा है आसमान में क्या आह क्यूँ बे-सदा है होंटों पर लफ़्ज़ बाक़ी नहीं ज़बान में क्या हो गया नीलगूँ बदन सारा तीर ज़हरीले थे कमान में क्या सारे किरदार साथ छोड़ गए आ गया मोड़ दास्तान में क्या झुलसा झुलसा है क्यूँ बदन सारा आ गई धूप साएबान में क्या ना-शनासा है चाँद से क्यूँ दिल सिर्फ़ तारा था आसमान में क्या रोज़-ओ-शब किस की राह तकती हो 'मीना' अब तक है कुछ गुमान में क्या