धूप का नाम जो है साया तो साया ही सही आप कहते हैं अगर ऐसा तो ऐसा ही सही हम भी जीने का मोहब्बत में तमाशा कर लें ज़िंदगी जो है तमाशा तो तमाशा ही सही क्यूँ न ये मरते हुए लम्हे ग़नीमत जानूँ लम्हों का ऐसा ही है लाशा तो लाशा ही सही ग़ैर ही क़त्ल करे मुझ को ज़रूरी तो नहीं मेरा क़ातिल है शनासा तो शनासा ही सही हम ने कब इश्क़ को समझा है तिजारत जानाँ इश्क़ तुम से है ख़सारा तो ख़सारा ही सही प्यार तो कर के निभा लूँ मैं क़सम से 'ख़ंदा' प्यार गर वहम है धोका है तो धोका ही सही