दिखा न दस्त-शनासों को हाथ, फ़ाल न पूछ वो बात जिस से हो सुन कर तुझे मलाल न पूछ बरहना तेग़ तनी है सरों पे इंसाँ के हिलाल-ए-ईद नहीं है ये मेरे लाल! न पूछ हम अपने कितने अज़ीज़ों के नाम गिनवाएँ कि अपने ऐसे हज़ारों हैं ख़स्ता-हाल न पूछ फ़राज़-ए-दार प हम लोग कब न थे 'मुख़्लिस' ज़माना अब के चला है वो हम से चाल न पूछ