दिखाएगी असर दिल की पुकार आहिस्ता आहिस्ता बजेंगे आप के दिल के भी तार आहिस्ता आहिस्ता निकलता है शिगाफ़ों से ग़ुबार आहिस्ता आहिस्ता थमेगी आँख से अश्कों की धार आहिस्ता आहिस्ता रही मश्क़-ए-सितम जारी अगर कुछ दिन जनाब ऐसे मिलेंगे ख़ाक में सब जाँ-निसार आहिस्ता आहिस्ता मुक़द्दर उस का मुरझाना ही तो है बाद खिलने के कली पर या-ख़ुदा आए निखार आहिस्ता आहिस्ता बना है नाज़िम-ए-गुलशन कोई सय्याद अब शायद परिंदे हो रहे हैं सब फ़रार आहिस्ता आहिस्ता मोहब्बत के मरीज़ों का मुदावा है ज़रा मुश्किल उतरता है 'सदा' उन का बुख़ार आहिस्ता आहिस्ता