दिल दश्त है तो अश्क-फ़िशानी करेंगे हम ये काम बस बरा-ए-रवानी करेंगे हम बैठे हैं शामियाना-ए-शब-रंग में उदास रंग-ए-रुख़-ए-शफ़क़ अभी धानी करेंगे हम पिछले बरस के इश्क़ पे हम को यक़ीन था अगले बरस का इश्क़ गुमानी करेंगे हम चाहें तो इस को तेग़-ए-ख़मोशी से काट दें लेकिन जुनूँ से जंग ज़बानी करेंगे हम ठहरे हैं सैल-ए-हर्फ़-ओ-मआनी में दम-ब-ख़ुद ज़ाहिर कभी तो दर्द-ए-निहानी करेंगे हम क़ामत पे अपनी नाज़ करे कोह-ए-शाम-ए-ग़म घबरा के आज मर्सिया-ख़्वानी करेंगे हम दरिया की सम्त भागते जाएँगे सारी उम्र आख़िर में अपनी प्यास को पानी करेंगे हम