दिल है चुप बोल रहा हो जैसे ख़ुद में ग़म घोल रहा हो जैसे अब वो यूँ देख रहा है मुझ को ज़र्फ़ को तोल रहा हो जैसे यूँ झिजक जाता हूँ कह के हर बात बात में झोल रहा हो जैसे दिल को अब मुफ़्त लिए फिरता हूँ पहले अनमोल रहा हो जैसे बात यूँ करने लगा हूँ 'नूरी' आइना बोल रहा हो जैसे