दिल इश्क़ में बे-पायाँ सौदा हो तो ऐसा हो दरिया हो तो ऐसा हो सहरा हो तो ऐसा हो इक ख़ाल-ए-सुवैदा में पहनाई-ए-दो-आलम फैला हो तो ऐसा हो सिमटा हो तो ऐसा हो ऐ क़ैस-ए-जुनूँ-पेशा 'इंशा' को कभी देखा वहशी हो तो ऐसा हो रुस्वा हो तो ऐसा हो दरिया ब-हुबाब-अंदर तूफ़ाँ ब-सहाब-अंदर महशर ब-हिजाब-अंदर होना हो तो ऐसा हो हम से नहीं रिश्ता भी हम से नहीं मिलता भी है पास वो बैठा भी धोका हो तो ऐसा हो वो भी रहा बेगाना हम ने भी न पहचाना हाँ ऐ दिल-ए-दीवाना अपना हो तो ऐसा हो इस दर्द में क्या क्या है रुस्वाई भी लज़्ज़त भी काँटा हो तो ऐसा हो चुभता हो तो ऐसा हो हम ने यही माँगा था उस ने यही बख़्शा है बंदा हो तो ऐसा हो दाता हो तो ऐसा हो