दिल का छाला फूटा होता By Ghazal << दिल कुश्ता-ए-नज़र है महरू... दिल हमारा है कि हम माइल-ए... >> दिल का छाला फूटा होता काश ये तारा टूटा होता शीशा-ए-दिल को यूँ न उठाओ देखो हाथ से छूटा होता चश्म-ए-हक़ीक़त-बीं इक होती बाग़ का बूटा बूटा होता ख़ैर हुई ऐ जुम्बिश-ए-मिज़्गाँ ज़ख़्म का टाँका टूटा होता आज 'अज़ीज़' उस शोख़-नज़र ने ख़ाना-ए-दिल को लूटा होता Share on: