दिल के अरमाँ आँसुओं में बह गए By फ़िल्मी शेर, Ghazal << किसी नज़र को तिरा इंतिज़ा... फिर वही बाम-ओ-दर की तस्वी... >> दिल के अरमाँ आँसुओं में बह गए हम वफ़ा कर के भी तन्हा रह गए ज़िंदगी इक प्यास बन कर रह गई प्यार के क़िस्से अधूरे रह गए शायद उन का आख़िरी हो ये सितम हर सितम ये सोच कर हम सह गए ख़ुद को भी हम ने मिटा डाला मगर फ़ासले जो दरमियाँ थे रह गए Share on: