दिल की बातें किसी हसीं से कहें पर कहें भी तो किस यक़ीं से कहें बर्फ़ सी जम रही है होंटों पर किस के रुख़्सार-ए-आतिशीं से कहें हर जगह है तो इस फ़साने में तो जहाँ से कहे वहीं से कहें हम तो समझा के हार बैठे हैं आप ही कुछ दिल-ए-हज़ीं से कहें आंसुओं की कहानियाँ ऐ 'ताज' कब तक अपनी ही आस्तीं से कहें