दिल की ख़्वाहिश बढ़ते बढ़ते तूफ़ाँ होती जाती है ज़र की चाहत अब लोगों का ईमाँ होती जाती है प्यार मोहब्बत हमदर्दी के रिश्ते थे इंसानों में दिल वालों को अब ये दुनिया ज़िंदाँ होती जाती है मरघट का सा सन्नाटा है घर कूचे बाज़ारों में दिल की बस्ती रफ़्ता रफ़्ता वीराँ होती जाती है इंसानों के ख़ूँ के प्यासे और नहीं ख़ुद इंसाँ हैं अक़्ल बिचारी देख के दुनिया हैराँ होती जाती है झूटे वा'दे सुनते सुनते सपने चकना-चूर हुए मायूसी बे-ज़ारी दिल में मेहमाँ होती जाती है