दिल मत टपक नज़र से कि पाया न जाएगा जूँ अश्क फिर ज़मीं से उठाया न जाएगा रुख़्सत है बाग़बाँ कि तनिक देख लें चमन जाते हैं वाँ जहाँ से फिर आया न जाएगा आने से फ़ौज-ए-ख़त के न हो दिल को मुख़्लिसी बंधुआ है ज़ुल्फ़ का ये छुटाया न जाएगा पहुँचेंगे उस चमन में न हम दाद को कभू जूँ गुल ये चाक-ए-जेब सिलाया न जाएगा तेग़-ए-जफ़ा-ए-यार से दिल सर न फेरियो फिर मुँह वफ़ा को हम से दिखाया न जाएगा आवेगा वो चमन में न ऐ अब्र जब तलक पानी गुलों के मुँह में चुवाया न जाएगा अम्मामे को उतार के पढ़ियो नमाज़ शैख़ सज्दे से वर्ना सर को उठाया न जाएगा ज़ाहिद गिले से मस्तों के बाज़ आने का नहीं ता मय-कदे में ला के छकाया न जाएगा ज़ालिम न मैं कहा था कि इस ख़ूँ से दरगुज़र 'सौदा' का क़त्ल है ये छुपाया न जाएगा दामान-ओ-दाग़-ए-तेग़ को धोया तो क्या हुआ आलम के दिल से दाग़ धुलाया न जाएगा