दिल में पैवस्त कोई डर है मियाँ रास्ता वैसे बे-ख़तर है मियाँ क्यों सदा दे रहे हो सूरज को दूर हम से अभी सहर है मियाँ ज़िंदगी क्या है पूछते क्यों हो चंद लम्हों का ये सफ़र है मियाँ दरमियाँ है अना की इक दीवार फ़ासला वर्ना मुख़्तसर है मियाँ बात इतनी सी है कि दुनिया में आदमी ख़ुद से बे-ख़बर है मियाँ तुम हक़ीक़त की बात करते हो ये तो ख़्वाबों की रहगुज़र है मियाँ आए हो इस तरफ़ तो साथ चलो दो क़दम पर हमारा घर है मियाँ हाल कैसे बयाँ करो 'ख़ालिद' ज़िंदगी अपनी दर-ब-दर है मियाँ