दिल में जब से हुआ क़याम तिरा हर कोई पूछता है नाम तिरा सब के एहसास पर है छाया तू हर जगह पर है ज़िक्र-ए-आम तिरा हट के चलती है तेरे पैकर से धूप करती है एहतिराम तिरा तेरे क़दमों के साथ चलता है रास्ता भी हुआ ग़ुलाम तिरा रोज़ आती तो है सबा 'अंजुम' फिर भी लाती नहीं पयाम तिरा