दिल में जब तक न बे-कली होगी कितनी बे-जान ज़िंदगी होगी बात जो मुझ में शोर करती है मुझ से कहने को रह गई होगी आज चेहरे पे है सुकूँ मेरे जीत ख़ुद पर मिरी हुई होगी ज़िंदगी पर लगा न हर इल्ज़ाम कुछ ख़ता तेरी भी रही होगी दिल में कुछ करने की तमन्ना रख ज़िंदगी वर्ना मौत सी होगी बीती बातों पे तू न रो ऐ 'बशर' कल की सोचेगा तो ख़ुशी होगी