दिल में उमंग आँखों में हसरत लिए फिरूँ मैं शहर शहर तेरी मोहब्बत लिए फिरूँ रुस्वाइयों के ख़ौफ़ से ख़ामोशियों के साथ मैं दिल में तेरे प्यार की लज़्ज़त लिए फिरूँ जचता नहीं है कोई निगाहों में इन दिनों हर-पल तिरे ख़याल की नुदरत लिए फिरूँ उभरेगा तेरे लब से कभी हर्फ़-ए-दोस्ती दिल में इस इंतिज़ार की हसरत लिए फिरूँ 'महवर' समाअ'तों के मिले बंद दर मुझे होंटों पे अपने हर्फ़-ए-शिकायत लिए फिरूँ