दिल ने चाहा बहुत और मिला कुछ नहीं ज़िंदगी हसरतों के सिवा कुछ नहीं इश्क़ ने हम को सौग़ात में क्या दिया ज़ख़्म ऐसे कि जिन की दवा कुछ नहीं पढ़ के देखी किताबें मोहब्बत की सब आँसुओं के अलावा मिला कुछ नहीं हर ख़ुशी का मज़ा ग़म की निस्बत से है ग़म नहीं है अगर तो मज़ा कुछ नहीं ज़िंदगी मुझ से अब तक तू क्यूँ दूर है दरमियाँ अपने जब फ़ासला कुछ नहीं