दिल ने हम से अजब ही काम लिया हम को बेचा मगर न दाम लिया दिल से आख़िर चराग़-ए-वस्ल बुझा क्या तमन्ना ने इंतिक़ाम लिया फिर कभी वो न आई हम को नज़र जिस परी-रू का हम ने नाम लिया तेरी ख़ातिर हनूज़ हम ने यहाँ लाख इल्ज़ाम अपने नाम लिया ता-दम-ए-मर्ग इश्क़ जीता रहा गोर में भी मिरा सलाम लिया