दिल ने जब भी तिरा ख़याल किया ख़ुद को आईना-ए-जमाल किया दिल की धड़कन में बस गया ऐसे साँस लेना मिरा मुहाल किया मैं ने सच बोलने की जुरअत की सच सुना आप ने कमाल किया तेरी यादें मिरी मुहाफ़िज़ हैं तेरी यादों को मैं ने ढाल किया तेरी चाहत के लम्हे लम्हे को दिल ने मानिंद-ए-माह-ओ-साल किया वक़्त ने कब उसे रखा ज़िंदा काम जिस ने जो बे-मआल किया तेरी क़ुर्बत में बीते लम्हों ने मुझ को भी साहब-ए-जमाल किया आइने ने तिरा क़सीदा कहा आइना जब कभी मिसाल किया एक ही था जवाब हुस्न के पास हुस्न से जिस ने भी सवाल किया ज़िंदगी का है सानेहा 'रूमी' दिल की तन्हाई ने निढाल किया