दिल सरापा बेबसी होने को है चार-सू इक ख़ामुशी होने को है इन दियों को गुल भी होना है अभी हर तरफ़ गो रौशनी होने को है मौत से भी बढ़ के कहते हैं जिसे तेरी मेरी ज़िंदगी होने को है काले काले गेसूओं के फ़ैज़ से शाम दिल की सुरमई होने को है सब्ज़-रुत के आख़िरी हफ़्ते में 'नाज़' पाँच-साला दोस्ती होने को है