दिल से है बहुत गुरेज़-पा तू तू कौन है और है भी क्या तू क्यूँ मुझ में गँवा रहा है ख़ुद को मुझ ऐसे यहाँ हज़ार-हा तू है तेरी जुदाई और मैं हूँ मिलते ही कहीं बिछड़ गया तू पूछे जो तुझे कोई ज़रा भी जब मैं न रहूँ तो देखना तू इक साँस ही बस लिया है मैं ने तू साँस न था सो क्या हुआ तू है कौन जो तेरा ध्यान रखे बाहर मिरे बस कहीं न जा तो