दिल से जब आह निकल जाएगी जाँ भी हम-राह निकल जाएगी दिल में कुछ भी तो न रह जाएगा जब तिरी चाह निकल जाएगी हम ने समझा था कि कुछ बरसों में फ़स्ल-ए-जाँ-काह निकल जाएगी फिर सभी जोड़ के सर बैठे हैं फिर कोई राह निकल जाएगी तुम से मिलने की भी कोई सूरत इंशा-अल्लाह निकल जाएगी तोड़ कर सारी फ़सीलें 'राग़िब' फ़िक्र-ए-आगाह निकल जाएगी