दिल से कोई सदा नहीं आती अब लबों पर दुआ नहीं आती ज़ख़्म दिल के जो मुंदमिल कर दे तुम को ऐसी दवा नहीं आती दिल तड़पता है उन से मिलने को इस को तस्कीं ज़रा नहीं आती शहर का ज़िक्र क्या पहाड़ों पर घर में ताज़ा हवा नहीं आती इब्तिदा ही का बोल-बाला है इश्क़ में इंतिहा नहीं आती बेवफ़ाई न आ सकी हम को और उन को वफ़ा नहीं आती 'राज' करती है घर में तन्हाई रुत कोई ख़ुशनुमा नहीं आती