दिल ये कहता है कि रोया जाए आँख के प्यालों को धोया जाए ले उड़ा ख़्वाब तू आँखों से कोई अब न आराम से सोया जाए हार जब टूट के बिखरे हर-सू आँसुओं को ही पिरोया जाए ध्यान का शहर तो खोने का नहीं आओ इस शहर में खोया जाए रात हँसती है तो शबनम बन कर दामन-ए-दिल को भिगोया जाए है ये 'नक़्क़ाश' नुमाइश कैसी दिल तो हर-गाम पे खोया जाए