दिलदार हुआ ना-ख़ुश अब दिल का ख़ुदा-हाफ़िज़ नज़रों में लगा लड़ने बिस्मिल का ख़ुदा-हाफ़िज़ ख़ंजर से मिज़ा के ये सब सीना किया ज़ख़्मी कुछ बस ही नहीं चलता घायल का ख़ुदा-हाफ़िज़ किस तरह कोई जीते नादाँ से पड़ा पाला बे-तरह की ख़्वारी है आक़िल का ख़ुदा-हाफ़िज़ ग़ैरों से चबाता है यारों से बचाता है छूते ही मचलता है चंचल का ख़ुदा-हाफ़िज़ अपनी ही वो कहता है पर और की नहीं सुनता हर इक से उलझता है जाहिल का ख़ुदा-हाफ़िज़ शह-ए-गुल की ख़बर आई आता है लिए लश्कर गुलशन में पड़ी खल-बल बुलबुल का ख़ुदा-हाफ़िज़ मैं तुझ को न कहता था मत 'नैन' बुतों से मिल दिल दे के हुआ रुस्वा बे-दिल का ख़ुदा-हाफ़िज़