दिल-ए-ख़ुद-आश्ना सोहान-ए-ज़िंदगी होगा ये संग-ए-मील है कल संग-ए-राह भी होगा हर एक मोड़ पे पीछे पलट के देखता हूँ वो गर्द-ए-रह सही हमराह तो कोई होगा हमें हमारी वफ़ा दश्त दश्त ढूँडेगी तुम्हारे हुस्न का चर्चा गली गली होगा वो मैं नहीं मिरी आशुफ़्तगी-ए-दिल होगी वो तू नहीं तिरा अंदाज़-ए-दिलबरी होगा बहार-ए-जल्वा-ए-गुल तो नज़र में थी कल भी तही था दस्त-ए-तलब आज भी तही होगा सुना है वक़्त कभी एक सा नहीं रहता क़याम फ़स्ल-ए-ख़िज़ाँ का भी आरज़ी होगा तुम्हारी शब है ज़िया-बार माह-ओ-अंजुम से हमारी सुब्ह का मंज़र भी दीदनी होगा ये रंग-ए-बज़्म घड़ी दो घड़ी है फिर 'ख़ावर' कहीं पे होगा कोई और कहीं कोई होगा