दिलों में फ़र्क़ है तो गुफ़्तुगू से कुछ नहीं होगा चल उठ तिश्ना-लबी जाम-ओ-सुबू से कुछ नहीं होगा न पूरी हो सकी जो आरज़ू अब तक वो कहती है जो पूरी हो गई उस आरज़ू से कुछ नहीं होगा मियाँ जब इतने सारे दोस्तों से कुछ नहीं बिगड़ा हमें मालूम है अब इक अदू से कुछ नहीं होगा गरेबाँ ख़ार्जिय्यत और वहशत दाख़लिय्यत है लिहाज़ा ख़ार्जिय्यत के रफ़ू से कुछ नहीं होगा तफ़न्नुन के लिए नाम-ओ-नुमू की दौड़ में हैं हम हमें मालूम है नाम-ओ-नुमू से कुछ नहीं होगा 'शुजाअ' तेरे ही तहत-अल-लफ़्ज़ से कुछ हो तो हो वर्ना ग़ज़ल में शाएरान-ए-ख़ुश-गुलू से कुछ नहीं होगा