दीवाना-पन और बेकारी मिलती है इश्क़ में अक्सर ऐसी ख़्वारी मिलती है लोग पता है क्यूँ इतने दीवाने हैं इक मॉडल से शक्ल तुम्हारी मिलती है कभी कभी तो शे'र भी होने लगते हैं दिल की चोट से ख़ुश-गुफ़्तारी मिलती है लाईफ़ नहीं है बेड-ऑफ़-रोज़ेज़ याद रखो रस्ता चलते सौ दुश्वारी मिलती है और किसी से मिलती है वो शामों को जिस लड़की से सोच हमारी मिलती है उस के नाज़ उठाने को हम बैठे हैं देखिए कब ये ज़िम्मेदारी मिलती है