दोबारा दिल में कोई इंक़िलाब हो न सका तुम्हारी पहली नज़र को जवाब हो न सका कमाल-ए-नूर ज़वाल-ए-हिजाब हो न सका वो बे-नक़ाब कभी बे-नक़ाब हो न सका दिल-ए-तपीदा हुआ बज़्म-ए-हुस्न से वापस नज़र ठहर न सकी इंतिख़ाब हो न सका रविश बदल गई तेवर तेरे नहीं बदले क़यामत आई मगर इंक़िलाब हो न सका कहाँ दिल और कहाँ दिल के आईने की अदा ग़रज सवाल से बेहतर जवाब हो न सका मेरे सवाल पे उस ने नज़र जो की नीची फिर उस का मुझ से जवाब-उल-जवाब हो न सका जलाल-ए-रोब है 'नातिक़' जमाल पर उस के वो बे-नक़ाब कभी बे-नक़ाब हो न सका