दोनों आँखों में भर लिया जाए हुस्न महफ़ूज़ कर लिया जाए ज़िंदगी से कलाम करने को इज़्न-ए-नूर-ए-सहर लिया जाए हम से पादाश में मोहब्बत की जान ली जाए सर लिया जाए बे-ख़ता है तो फिर भी डर ऐ दोस्त बे-ख़ता ही न धर लिया जाए शहर-ए-उम्मीद कितना दिलकश है आओ कुछ दिन ठहर लिया जाए कैसा सरसब्ज़ है तुम्हारा साथ इस को तस्वीर कर लिया जाए