दोनों जानिब से एक हाँ का सफ़र ख़त्म कर देगा हर गुमाँ का सफ़र कर चुके हैं हम इस जहाँ का सफ़र अब है दरपेश ला-मकाँ का सफ़र इक उदासी जो करती रहती है एक से दूसरे मकाँ का सफ़र ठहरने को कोई मक़ाम नहीं सख़्त मुश्किल है आसमाँ का सफ़र हम से पूछो कि किस तरह गुज़रा जीने मरने के दरमियाँ का सफ़र दिल का क़िस्सा कहाँ तमाम हुआ चल रहा है अभी फ़ुग़ाँ का सफ़र जाने क्या है कि ख़त्म होता नहीं एक मुद्दत से ये ख़िज़ाँ का सफ़र