दोस्तो अब तुम न देखोगे ये दिन ख़त्म हैं हम पर सितम-आराईयाँ चुन लिया इक एक काँटा राह का हो मुबारक ये बरहना-पाईयाँ कू-ब-कू मेरे जुनूँ की अज़्मतें उस की महफ़िल में मिरी रुस्वाइयाँ अज़्मत-ए-सुक़रात-ओ-ईसा की क़सम दार के साए में हैं दाराइयाँ चारागर मरहम भरेगा तू कहाँ रूह तक हैं ज़ख़्म की गहराइयाँ 'कैफ़' को दाग़-ए-जिगर बख़्शे गए अल्लाह अल्लाह ये करम-फ़रमाइयाँ