दुआ-ए-नीम-शब आह-ए-सहर सोज़-ए-दरूँ दिल का मसीहा भी है मोनिस भी है मरहम भी है बिस्मिल का इलाही मेरी ग़र्क़ाबी में किस का हाथ है आख़िर सफ़ीना का हवा का फ़ित्ना-ज़ा मौजों का साहिल का है मेरा ज़ौक़-ए-रिंदी क़ैद हर मौसम से बाला-तर न मैं पाबंद साक़ी का न शीशे का न महफ़िल का ख़ुदा पर है मिरा ईमाँ क़यामत-ख़ेज़ तूफ़ाँ में भरोसा नाख़ुदा का है न कश्ती का न साहिल का दिया करते हैं अक्सर दावत-ए-फ़िक्र-ए-सुख़न मुझ को सहर शबनम शफ़क़ तारे तबस्सुम माह-ए-कामिल का ख़िरद वाले ज़रा ख़ुद ठंडे दिल से ग़ौर फ़रमा लें फ़ुग़ाँ फ़रियाद मातम नाला हल है क्या मसाइल का जिसे कहते हैं मंज़िल इम्तिहाँ है अस्ल में 'जौहर' उमंगों का जुनूँ का हौसलों का अज़्म-ए-कामिल का